Category Archives: Bach flower

Bach Flower Remedies for DEPRESSION

Bach Flower Remedies for DEPRESSION

Cherry Plum: Fear of losing control of own mind or behaviour. Key remedy for feeling  SUICIDAL.

Crab Apple: Poor self image, ashamed or embarrassed by unpleasant physical symptoms, characteristics or features. Self-hatred.

Gorse : hopelessness, despair, pessimism.

Mustard: Unexplained deep gloom (depression) which comes and goes for no apparent reason. Often caused by unrecognized anger.

Pine: When you feel full of guilt and blame yourself for everything, even the mistakes of others.

Sweet Chestnut: When you are at the limits of endurance and deep despair. Feeling SUICIDAL.

White Chestnut: Have unwanted thoughts, preoccupied and worried, sleeplessness and frontal headaches.

Rock Rose: For Panic Attacks

Role of Bach Flower Medicines during Ramzan & other fasting months [ guest post by Dr Bipin Kakkad ]

क्या रमजान मॆं बैच फ़्लावर औषधियां मदद कर सकती हैं तो जबाब है हाँ । आईयॆ देखते हैं कि BFR रोजेदारॊ या उपासकॊ की कैसे मदद कर सकती हैं ।

💐👉 BFR में सबसे पहलॆ नाम आता है वालनट ( Walnut ) का । Walnut link breaker का रोल करती है । चूँकि रमजान के दिनों में रोज का समय बद्ल जाता है और वालनट इसकॊ संतुलित कर लेता है ।

🌿👉अगर रमजान के दिनों मॆ कब्जियित , दस्त आना , गैस और तेजाबयित का बनना या इससे मिलती कोई भी समस्या हो , उसमें Walnut + Crab Apple देने से लाभ पहुँचता है ।

🌻👉CHERRY PLUM यह उन लोगों के लिये है जिनका खाने पीने पर कोई कन्ट्रोल नही रहता । जो उपवास नही रख सकते और भूख प्यास नही सहन कर सकतॆ ।

🌾👉OLIVE: एक तरह से देखा जाय तो ओलिव टानिक का काम करती है । रोजे से उत्पन्न कमजोरी को तो दूर करती है और साथ ही में मानसिक और शारिरिक रुप से इन्सान को सम्बल प्रदान करती है ।

🌲👉PINE : रोजा न रख पाने के कारण पशचताप होना , बार २ ऊपर वालॆ से माफ़ी माँगना ।

🌴👉HORNBEAM : जब कोई उपासक के मन मॆ यह दुविधा हो कि क्या मै उपवास रख सकूँगा ।

🍃👉IMPATIENTS : रोजे के दौरान किसी का स्वभाव जल्द ही क्रोधित हो जाना और उतनी जल्दी गुस्सा शान्त भी हो जाना ।

🍁👉LARCH : हिम्मत देना लार्च का स्वभाव है । जब किसी उपासक के मन मॆ यह धारणा बन जाय कि वह उपवास नही रख सकता ।

🍄👉RESCUE REMEDY : रेसक्यू रेमेडी का रोल वृहद है । किसी भी आपातकालीन स्थिति मे इसका रोल है ।

लेखक :

dr bipin kakkad

डा. बिपिन काकड :  होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति मे तो निपुण है ही  लेकिन साथ बैच फ़्लावर विशॆयज्ञ के रुप में राजकोट , गुजरात से डा. बिपिन काकड जी की पहचान है । फ़ेसबुक पर उनका ” बैच फ़्लावर स्टडी ग्रुप ” अल्प समय मॆ ही लोकप्रिय हो चुका है । इस ब्लाग मॆ उनकी यह पहली पोस्ट है | अपनॆ अनुभवॊ को एसे ही साझा करते रहेगॆ , ऐसा हमारा विशवास है ।

Characteristic key symptoms of BFR – ” Metchthild Scheffer “

Metchthild Scheffer in her book “Keys to the Soul, A workbook for self-diagnosis using the Bach Flowers” (page 79) describes the Bach Flowers as follows:

1. Agrimony – the honesty flower.
2. Aspen – the psychic flower.
3. Beech – the tolerance flower.
4. Centaury – the service flower.
5. Cerato – the intuition flower.
6. Cherry Plum – the openness flower.
7. Chestnut Bud – the learning flower.
8. Chicory – the motherliness flower.
9. Clematis – the reality flower.
10. Crab Apple – the cleansing flower.
11. Elm – the responsibility flower.
12. Gentian – the belief flower.
13. Gorse – the hope flower.
14. Heather – the identity flower.
15. Holly – the heart opening flower.
16. Honeysuckle – the past flower.
17. Hornbeam – the vitality flower.
18. Impatiens – the time flower.
19. Larch – the self-trust flower.
20. Mimulus – the bravery flower.
21. Mustard – the light flower.
22. Oak – the endurance flower.
23. Olive – the regeneration flower.
24. Pine – the self-acceptance flower.
25. Red Chestnut – the cutting free flower.
26. Rock Rose -the liberation flower.
27. Rock Water – the flexibility flower.
28. Scleranthus – the balance flower.
29. Star of Bethlehem – the comfort flower.
30 Sweet Chestnut – the deliverance flower.
31. Vervain – the enthusiasm flower.
32. Vine – the authority flower.
33. Walnut – the midwife flower.
34. Water Violet – the communication flower.
35. White Chestnut – the thought flower.
36. Wild Oat – the vocational calling flower.
37. Wild Rose – the zest for life flower.
38. Willow – the destiny flower..

Mind Map of Cherry Plum

CHERRY PLUM [Cher-p]

  1. शारीरिक और भावात्मक आवेशों पर नियंत्रण का अभाव (Fear of losing one’s mind )
  2. क्रोध और आवेश की स्थिति में अशोभनीय हरकतें , स्वयं से भय ( Fear of loss of control , uncontrolled outbreaks of temper , feels he will become mad )
  3. मानसिक आवेग पागलपन तक

Desperation. Fear of losing his mind’s control over his actions. Can do anything, even kill somebody or kill himself at the spur of the moment, without thinking.

Unbearable condition of the mind. Apt to act on impulse than on reason.

BOTANICAL NAME: Prunus cerasifera

KEYNOTES
: -People losing their self-control on heading for a breakdown. Desperate, about to have a nervous breakdown.

-Fear of doing something terrible at any moment (something one would never normally do) and then having to regret for it for the rest of one’s life.

-Afraid one is going mad.

-Compulsive ideas, de
outbreaks of rage.

-Destructive impulses, danger of suicide.

-Useful in the treatment of bedwetting in children (self- control of daytime released during sleep, when there is no conscious body control).

-Useful for rehabilitation of drug addicts.

Seven stages in the healing of disease according to Dr. Edward Bach

Dr Edward Bach, the creator of the first floral treatment system, wrote much about the real cause of the diseases and what he called their “true cure”. In this brief video, the seven stages of the cure of diseases described by Dr. Bach in the text “Free yourself”, published in 1932, were discussed. The phrases selected to reinforce each one of the seven stages of healing defined by Dr. Bach are of his own authorship, extracted from different texts of him.

Courtesy :
Cristina Venancio da Silva – BFRP
BRZ – 2018 – 0620V
(Bach Foundation Registered Practitioner)

COMBINING TWO OR MORE BACHFLOWER MEDICINE EFFECTIVELY IN A CASE OF EPLIEPSY WITH DETAILED EXPLANATION OF CENTAURY AND PINE (अपस्मार या मिर्गी के रोगी मे सम्मिश्रित बैचफ़्लावर दवाओं के सफ़ल प्रयोग )

अपस्मार या मिर्गी (वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं। मिर्गी के सभी मरीज एक जैसे भी नहीं होते। किसी की बीमारी मध्यम होती है, किसी की तेज। यह एक आम बीमारी है जो लगभग सौ लोगों में से एक को होती है। इनमें से आधों के दौरे रूके होते हैं और शेष आधों में दौरे आते हैं, उपचार जारी रहता है। अधिकतर लोगों में भ्रम होता है कि ये रोग आनुवांशिक होता है पर सिर्फ एक प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक होता है। विश्व में पाँच करोड़ लोग और भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं। विश्व की कुल जनसँख्या के ८-१० प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ने की संभावना रहती है।

बैच फ़्लावर पर मेरे अधिक प्रयोग सिगंल दवा पर ही केन्द्रित रहे और परिणाम बहुत ही उत्साह्वर्धक . लेकिन अगर रोगी का व्यक्तित्व को एक बैच फ़्लावर दवा कवर न कर रही हो तो उस हालात मे क्या करे ।

फ़ुरकान का केस कुछ ऐसा ही था । करीब ६ साल से वह epileptic convulsions से पीडित था । एलोपैथिक दवायें किसी योग्य न्यूरोफ़िजीशय्न से चल रही थी लेकिन आरम्भ मे आराम होने के बाद अगले साल से जो  पलटा खाया और फ़िर कई चिकित्सक बदलने के बावजूद भी कन्ट्रोल नही हुआ । दौरे हफ़्ते मे ३ से ४ तक पड जाते थे और इन दौरों की खास बात कि वह सिर्फ़ रात मे और गहरी नीदं मे ही पडते थे ।

स्वभाव से फ़ुरकान का व्यक्तित्व बेहद संकोची और दब्बू किस्म का था । उसकी मां के अनुसार उसमे किसी की भी गलत बात को प्रतिवाद करने की क्षमता बिलकुल न थी । वह अन्त्रमुखी था , उसके दोस्त बहुत कम और मिलना जुलना दूसरों से न के बराबर था । पिछले कुछ सालों से उसके घर की हालत भी कोई विशेष अच्छी न थी । पिता बीमार थे और इसका  जिम्मेदार वह स्वंय कॊ मानता था । वह अकसर मां से कहता कि उसके कारण ही उनके घर के हालात हुये ।

हमेशा की तरह दोनॊ विकल्पो का सहारा मैने लिया । constitutional  approach के लिये होम्योपैथिक और व्यक्तित्व के negativity के लिये बैच फ़्लावर ।

लक्षणॊ की प्रधानता ( चित्र के अनुसार ) को ध्यान मे रखते हुये उच्च क्रम मे silicea दी गई ।

FURKAN

अब बारी थी बैच फ़्लावर की । यहां दो लक्षण मुख्य थे ; १. दब्बू और संकॊची व्यक्तित्व , कमजोर इच्छाशक्ति , किसी का विरोध करने मे असमर्थ २. स्वदॊषी , हर काम मे अपने को दोष देना और उदास रहना ।

संकोची व्यक्तित्व और दब्बू स्बभाव के लिये सेन्चुरी और स्वंय को दोषी समझने के लिये पाइन का चुनाव किया । एलोपैथिक दवायें फ़िलहाल बन्द नही की , और वह पूर्वत: वैसे ही चलती रही । एलोपैथिक दवायें बन्द न करने का मुख्य कारण लम्बे समय से रोगी की दवा पर रोगी की निर्भता थी । एक बार परिणाम मिलने पर उनकी डोसेज कम करके बन्द करने का विचार था ।

पह्ले दो सप्ताह मे कोई विशेष फ़र्क नही दिखा । लेकिन तीसरे हफ़्ते से दौरॊं कि संख्या घटकर दो हफ़्ते मे एक पर रुक गयी । और सबसे प्रमुख बात उसके व्यक्तित्व मे परिवर्तन की धीमी शुरुआत । मुझे उसको देखे लगभग महीने भर से अधिक हो चुका था । दवा पूर्वत: वही चल रही थी । ईद के लगभग ५ दिन बाद उसकी अम्मी मुझसे मिलने आयी । बेहद खुश । उसके अनुसार पहली बार उसने ईद पर अपने बच्चे को इतना प्रसन्नचित देखा । अपने शौक से उसने कपडॆ बनवाये । और अपने दोस्तों के साथ वह घूमने निकल गया । अब तो अपने छॊटे भाई के साथ उसकी चुहलबाजी और नोंक-झॊक भी होने लगी । दौरॊ की संख्या नगण्य थी । और अब यह समय था एलोपैथिक दवा के हटाने का । और कहना नही होगा इन दवाओं के हटाने पर कॊई दिक्कत नही आई ।

व्यक्तित्व का यही बदलाव मै चाह्ता था । जो संभव हुआ बैच फ़्लावर और होम्योपैथिक दवा के काम्बीनेशन का ।

ईद के लगभग ४५ दिन के बाद epileptic convulsion का एक और एटैक पडा । साइलेशिया की पोटेन्सी को बढाया गया । और उसके बाद से अब तक कोई दौरा नही पडा । जो काम होम्योपैथिक की constitutional  दवाओं ने शुरु किया उसका रास्ता आसान बनाया बैच फ़्लावर औषधियों ने ।

डा. बैच के सिद्धान्त के अनुसार , “ मनुष्य का शारीरिक दुख मानसिक रोग का संकेत देता है । “

और यही बात हैनिमैन ने आर्गेनान के खन्ड २११ मे लिखा :

आर्गेनान आफ़ मेडिसन मे हैनिमैन लिखते हैं :
HAHNEMANN

Aphor .213

§ 213

    We shall, therefore, never be able to cure conformably to nature – that is to say, homoeopathically – if we do not, in every case of disease, even in such as are acute, observe, along with the other symptoms, those relating to the changes in the state of the mind and disposition, and if we do not select, for the patient’s relief, from among the medicines a disease-force which, in addition to the similarity of its other symptoms to those of the disease, is also capable of producing a similar state of the disposition and mind.1

    1 Thus aconite will seldom or never effect a rapid or permanent cure in a patient of a quiet, calm, equable disposition; and just as little will nux vomica be serviceable where the disposition is mild and phlegmatic, pulsatilla where it is happy, gay and obstinate, or ignatia where it is imperturbable and disposed neither to be frightened nor vexed.

सूत्र २१३ – रोग के इलाज के लिये मानसिक दशा का ज्ञान अविवार्य

इस तरह , यह बात स्पष्ट है कि हम किसी भी रोग का प्राकृतिक ढंग से सफ़ल इलाज उस समय तक नही कर सकते जब तक कि हम प्रत्येक रोग , यहां तक नये रोगों मे भी  , अन्य लक्षणॊं कॆ अलावा रोगी के स्वभाव और मानसिक दशा मे होने वाले परिवर्तन पर पूरी नजर नही रखते । यादि हम रोगी को आराम पहुंचाने के लिये ऐसी दवा नही चुनते जो रोग के सभी लक्षण  के साथ उसकी मानसिक अवस्था या स्वभाव पैदा करनेच मे समर्थ है तो रोग को नष्ट करने मे सफ़ल नही हो सकते ।

सूत्र २१३ का नोट कहता है :

ऐसा रोगी जो धीर और शांत स्वभाव का है उसमे ऐकोनाईट और नक्स कामयाब नही हो सकती , इसी तरह एक खुशमिजाज नारी मे पल्साटिला या धैर्यवान नारी मे इग्नेशिया  का रोल नगणय ही  रहता है क्योंकि यह रोग और औषधि की स्वभाव से मेल नही खाते ।

आज से लगभग २५०० वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध ने ईशवरीय सत्ता को नकारते हुये मन की अवस्था को सम्पूर्ण प्राथमिकता दी । धम्मपद के पहले वग्ग , “ यमकवग्गॊ ” में बुद्ध कहते हैं :

मनोपुब्बङ्गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया।

मनसा चे पदुट्ठेन, भासति वा करोति वा।

ततो नं दुक्खमन्वेति, चक्‍कंव वहतो पदं॥

मन सभी प्रवॄतियों का अगुआ है , मन ही प्रधान है , सभी धर्म मनोनय हैं । जब कोई व्यक्ति अपने मन को मैला करके कोई वाणी बोलता है , अथवा शरीर से कोई कर्म करता है तो दु:ख उसके पीछे ऐसे हो लेता है , जैसे गाडी के चक्के बैल के पीछे हो लेते हैं ।

Mind precedes all mental states. Mind is their chief; they are all mind-wrought. If with an impure mind one speaks or acts, suffering follows one like the wheel that follows the foot of the ox .

अब सवाल है बैचफ़्लावर दवाये सेन्चुरी और पाइन क्यों दी गई ।

सैन्चुरी :

mind map centaury

एडवर्ड बैच के अनुसार  सेन्चुरी व्यक्तित्व के लक्षण कुछ इस तरह से हैं

“weak willed , unable to oppose or refuse , yielding to other , easily influenced and utilized by others .

Kind , quite , gentle people who are anxious to serve others, They overtake their strength in their endevours . Edward Bach

कमजोर इच्छाशक्ति , किसी का विरोध करने मे असमर्थ , दूसरों के प्रति समपर्ण की भावना , आसानी से दूसरॊ से प्रभावित ।

सेन्चुरी की शख्सियत अपनी स्वयं की नही होती , दूसरॊ के व्यक्तित्व से यह आसानी से प्रभावित हो जाते है । स्वभावत: यह शांत और दयालु प्रवृति के होते हैं । किसी को न करना इनके बस की बात की बात नही होती । इसी का फ़ायदा उठाकर दूस्ररॆ इनसे अपना काम निकाल लेते हैं । अतयाधिक काम की वजह से  शारिरिक थकान भी रहती है । ऐसे लोगॊ मे स्वयं की लीडरशिप का अभाव रहता है , हां , यह अच्छे कार्यकर्ता अवशय बन जातें हैं ।

बचपन से लेकर आगे की अवस्थाये इनके बस की नही होती । बचपन माता –पिता के अधीन और बेहद आज्ञाकारी  , युवा होने पर अपने जीवनसाथी के चयन में , अगर पसन्द न भी हॊ तब भी यह न नही कर पाते । कैरियर के चुनाव मे जो माता पिता ने कहा , उसको सर पर रखकर   मानना इनकी  मजबूरी हो जाती है । सेन्चुरी के उदाहरण हमकॊ इसी समाज मे आसानी से मिल जातॆ है । एक नवयुवती  ने शादी इसलिये नही की क्योकि उसके सामने पहले अपने  भाई , बहन के कैरियर का सवाल था । एक इंन्जीयरिन्ग पास ग्रेजुएट अपने पिता की दुकान पर न मन होते हुये भी बैठ गया , क्योकि उसके पिता की यही इच्छा  थी ।

KEY NOTES OF CENTAURY

Lack of will, a weak willed slave doing other’s job who cannot refuse to be used as door-mat by others. Persons who appear to have no choice except to obey others.

KEYNOTES
: -Good natured, obedient, pleasant individuals, responsive to praise, who are guided by others and easily taken advantage of by their fellows.

-Easily influenced by stronger personalities.

-Easily persuaded.

-They simply can’t say ‘No’ to others or refuse them.

-Over-governed and exploited by others, they complain of tiredness and overwork.

-Sometimes a martyr (because of sacrifices).

-A slave, rather than a conscious helper.

-Easily led astray in the desire to please others.

-Desire for validation and recognition.

-Most sensitive of all the Bach Flower Remedies.

-Easily made unsure, upset and hurt.

-Avoids disputes, unable to stand up for own interests.

-Tends to give more than he has.

-‘Cinderella’ or doormat for others.

 

Pine (पाइन);

pine mindmap

एडवर्ड बैच के अनुसार :

“ For those who blames themselves . Even when succesful they think they could have done better and are never contended with their efforts or the results . They are hard working and suffer much from the faults working and suffer much from the faults attach to themselves . Sometimes if there is any mistake it is due to others , but they will claim resposibility even for that

पाइन पर पह्ले भी लिख चुका हूँ । यह एक बुजुर्ग मुस्लिम अनुयायी का केस था जो अपने ही अतंर्द्न्द के होते हुये मानसिक अवसाद तक जा पहुँचा । देखॆं : मेरी डायरी से -“बैच फ़्लावर औषधि–पाइन” : https://drprabhattandon.wordpress.com/2012/03/30/pine-bach-flower-remedy/

पाइन व्यक्तित्व का व्यक्ति छॊटी २ गलतियों केलिये अपने आप को दोषी समझते हैं । वैसे पाइन का व्यक्तित्व मेहनती , ईमानदार और दूसरॊ का दु:ख दर्द मे शरीक होने होते हैं । धर्म कर्म में इनकी आस्था और विशवास होता है । अत्यन्त उच्च आर्दश्वादी होने के कारण अगर उन आर्दशॊं के पालन करने मे कुछ भूल रह जाती है तो अपराध बोध की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं ।

पाइन का व्यक्तित्व अपनी ही नजर में बौना सा रहता है । अपनी ही उपल्ब्धियों को वह कम कर के आँकते हैं और दूसरों से कम योग्य सम्झते हैं ।और यहि उनके अवसाद का कारण भी रहता है । पाइन ऐसे मनुष्यों मे नकरात्मक सोच को दूर करके अपराधबोध की भावना से मुक्त करती है ।

पाइन स्वभाव वाले व्यक्तित्व के कुछ  ऋण पक्ष :

  • हीन भावना (guilty complex )
  • स्वदोषी ( self reproach )
  • अन्तर्मुखी ( introvert )
  • बात-२ में क्षमा करने का उपयोग करना ।
  • दूसरों के दोषों के लिये भी अपने को दोषी ठहराना ।
  • संकोची व्यक्तित्व

PINE [Pine]

Self condemnation. ‘Guilt complex’. Blames himself even for the fault of others. Over conscientious, always tries to improve his work, and never satisfied with his own achievements. Even when trying his best to improve the lot of his fellow men, if he falls ill, he would still blame himself for not doing enough in his noble mission. He is, so to say, always on the look out for an excuse to blame himself. He can never be happy, as he allergic to happiness.

BOTANICAL NAME: Pinus sylvestris

KEYNOTES
: -Self-reproach, guilt feelings, despondency.

-Tired and worn out feeling.

-Never really satisfied with themselves.

-Blame themselves, asks more of himself than of others, and if the high standards applied to himself cannot be lived up to, he feels guilty and desperately blames himself in his heart.

-Will tend to be the scapegoat in the class and will uncomplainingly take the punishments for crimes they have not even committed.

-Always apologizing and using apologetic phrases in conversation.

-Feels guilty when need arises to speak firmly to others.

-Childish nervousness.

-Feels unworthy, inferior. Considers self a coward.

-Masochistic desire to sacrifice themselves and may punish themselves for life by choosing an inconsiderate partner.

-Religious beliefs strong, sees sexuality as sin.

-Negative narcissism.

-Personality shuts itself off from love, feels undeserving of love.

-Feeling he does not deserve anything.

-Introverted, little joy in life.

 

इसको भी देखॆ :

सदर्भित ग्रन्थसूची ( Bibliography )

  • बैच फ़्लावर रेमेडीज , लेखक : मोहन लाल जैन और सोहन लाल तावेड
  • बैच फ़्लावर रेमॆडीज , लेखक : दर्शन सिन्ह वोहरा
  • The Bach Flower Remedies by F.J. Wheeler and Edward Bach

  • Advanced Bach Flower Therapy by Gotz Blome , M.D.

 

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BLOG AUTHOR ( ब्लाग रचयिता ) : डा. प्रभात टन्डन
जन्म भूंमि और कर्म भूमि लखनऊ !! वर्ष १९८६ में नेशनल होम्योपैथिक कालेज , लखनऊ से G.H.M.S. किया , और सन १९८६ से ही  प्रैक्टिस मे संलग्न ..

Clinic :

1. Meo Lodge , Ramadhin Singh Road, Daligunj , Lucknow
2. Shop No 7 ,Ghazi Complex , Ghaila ,  Fazulagunj , Lucknow
E mail : drprabhatlkw@gmail.com
Mobile no : 8299484387 ( Dr Ayush Tandon )

 

 

Daligunj Clinic : Meo Lodge , Ramadhin Singh Road, Daligunj , Lucknow


 

Fazullagunj Clinic : Shop No 7 ,Ghazi Complex , Ghaila ,  Fazulagunj , Lucknow

 

सात प्रकार की भावात्मक अवस्थायें और बैच फ़्लावर औषधियाँ

 

विभिन्न प्रकार के मनुष्यों का व्यक्तित्व  और  बैच फ़्लावर औषधियाँ

डा. बैच द्वारा अविष्कृत ३८ औषधियां  इन्सान के अन्दर पाये जाने वाले ३८ प्रकार की नकरात्मक सोचों को दर्शाती हैं । डां बैच ने पाया कि मनुष्य के अन्दर पाये जाने वाले ३८ प्रकार के नकरात्मक सोचों को ७ प्रकार की भावात्मक अवस्थाओं से ग्रसित व्यक्तियों के लिये विभाजित किया जा सकता है । विभिन्न मनुष्यों के व्यक्तित्व के आधार पर बैच फ़्लावर रेमिडीज का वर्गीकरण चिकित्सक की सहूलियत के लिये है जो इस प्रकार से है :

१. डर/भय

२. अनिशिचतता

३. वर्तमान मे रुचि का अभाव

४. अकेलापन

५. दूसरों के व्यक्तित्व से अत्याधिक प्र्भावित

६. निराशा , हताशा एवं उदासीनता से पीडित

७. अपने प्रियजनों और मित्रॊ के कल्याण के लिये अत्याधिक चिन्तित

 

क्रमश:

( अगले भाग मे हम चर्चा करेगें मनुष्य के अन्दर पाये जानी वाली पहली नकरात्मक भावात्मक अवस्था यानि भय की , विभिन्न प्रकार के भय  और साथ ही मे उनसे संबधित बैच फ़्लावर दवाओं के रोल की जो नकरात्मक सोच को सकराय्मक सोच मे बदलने मे सक्षम होती है . )

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BLOG AUTHOR ( ब्लाग रचयिता ) : डा. प्रभात टन्डन
जन्म भूंमि और कर्म भूमि लखनऊ !! वर्ष १९८६ में नेशनल होम्योपैथिक कालेज , लखनऊ से G.H.M.S. किया , और सन १९८६ से ही  प्रैक्टिस मे संलग्न ..

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1. Meo Lodge , Ramadhin Singh Road , Daligunj , Lucknow
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Online Consultation : http://homeoadvisor.com/

बैच फ़्लावर रेमेडी – एक संक्षिप्त परिचय

The Journey to simple Healing – Bach Flower Remedies Part 1

The Journey to simple Healing – Bach Flower Remedies Part 2

The Journey to simple Healing – Bach Flower Remedies Part 3

बैच फ़्लावर पर  वीडियो : साभार नेलसन रेमेडीज

दरअसल इस पोस्ट को बैच फ़्लावर की पोस्ट को लिखते समय  क्रमनुसार सबसे पहली पोस्ट के रुप मे  डालना चाहिये था लेकिन  पिछ्ले वर्ष  भवाली और मुक्तशेवर जाते समय भवाली में चेस्ट्नेट ने  होम्योपैथिक और बैच फ़्लावर मे  प्रयोगों  का  स्मरण दिला दिया । वह बैच फ़्लावर पर पहली पोस्ट थी । दूसरॊ पाइन , तीसरी वाइन और वैरवाइन और  पिछ्ली पोस्ट  रेसक्यू  रेमेडी पर थी । बैच फ़्लावर को मै नियमित रुप से प्रयोग नहीं  करता हूँ लेकिन कुछ बैच फ़्लावर मेरी पंसदीदा दवाओं मे से हैं । यह पोस्ट उन्ही अनुभवों का संकलन था ।

रेसक्यू रेमेडी के संबध में कई होम्योपैथिक चिकित्सकॊ ने बैच फ़्लावर दवाओं के  प्रयोग की विधि , डॊसेज और रीपीटीशन पर प्रशन किये हैं । होम्योपैथिक पाठयक्रम मे बैच फ़्लावर नही पढाई जाती । यह एक स्वभाविक सा प्रशन है और उत्सुकता भी ।

डा, इडवर्ड बैच इन बैच  फ़्लावर दवाओं के जनक हैं । डां बैच की मेडिकल  यात्रा एक ऐलोपैथिक चिकित्सक से हुई । डाँ. बैच  ने यूनिवर्सिटी कालेज हास्पिटल, लंदन से मेडिकल  डिग्रियाँ प्राप्त कीं। पहले उक्त संस्थान में ये आपात चिकित्साधिकारी रहे, तत्पश्चात् जीवाणु विज्ञानी। इसके बाद होम्योपैथिक का अध्यन्न और प्रैकिटिस शुरु की । रायल होम्योपैथिक कालेज लन्दन से वह लम्बे समय तक जुडॆ रहे । एक जीवाणु विज्ञानी के रुप मे होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका को उन्होने बौवल नोसोडॊस से समृद्ध किया । लेकिन होम्योपैथिक पद्दति में उनका मन औषधि सेलेकशन मे आ रही कठिनाईयों के कारण रास न आया । प्रकृति प्रेमी डा. बैच का ध्यान वापस प्रकृति मे विधमान साधनों पर गया । उन्होनें देखा कि कैसे जंगलों और पहाडॊं पर रहने वाले लोग बिना दवाई के स्वस्थ रहते हैं । जंगली पक्षी या जानवर कैसे फ़ूलॊ और जडी बूटियों से ही अपने आप को स्वस्थ कर लेते हैं । किस प्रकार प्रकृति मे अलग २ पौधे प्राकृतिक घटनाओं के बावजूद अपने आप को सुरक्षित रखते हैं और फ़लते फ़ूलते हैं । सन १९३० से सन १९३६ तक का सफ़र डा. बैच का इंग्लैडं के जंगलों मे एक घुमक्कड के रुप मे बीता । इन छ: साल मे जंगलॊ और पहाडॊं पर घूमते हुये उन्होनें अनेक पुष्प  इक्कठ्ठे किये और उन पुष्पों  से ३८ दवाइयाँ बनाई जिनको “ बैच फ़्लावर रेमेडिज “  के नाम से जाना जाता है

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डा. बैच के अनुसार “ मनुष्य का शारिरिक दुख मानसिक रोग का संकेत देता है । ” डां बैच ने  बीस वर्षों के अनुसंधान एंव विभिन्न रोगियों के इलाज के दौरान इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सभी बीमारीयों की जड में हमारे नकारात्मक सोच होती है यदि इन नकारत्मक  सोच को सकारत्मक सोच मे बदल दिया जाय तो मनुष्य शारीरिक , मानसिक और भावत्मक रुप से सुखी जीवन जी सकता है । बैच फ़्लावर की ३८ दवायें मानवमात्र मे ३८ नकारात्मक सोचों का प्रतिनित्धत्व करती है ।

मानव मात्र मे ३८ नकारात्मक सोचों को को सात भागों में वर्गीकृत किया गया है । १. डर २. अनिशिचयता ३. वर्तमान मे अरुचि और भूत भविष्य में खोये रहना ४.अकेलापन ५. परिस्थतियों एव, दूसरे के विचारों से अत्याधिक प्रभावित होना ६. उदासी ७. अवसाद और निराशा

यही कारण है कि बैच फ़्लावर पद्दति से इलाज करते समय चिकित्सक को फ़्लावर दवाओं की मानसिक थीम  को रोगी मे ढूँढना पडता है । जैसे बैच फ़्लावर औषधि ’ पाइन ’ का विशेष लक्षण है , ’ self reproach ‘ यानि प्रत्येक गलती के लिये अपने को दोषी ठहराना ,यह ’ guilt complex ‘ या उनमें व्याप्त दोष भाव इतना अध्हिक प्रबल होता है कि वे किसी भी कुदरती घटना के लिये भी अपने को दोषी मानते हैं    । केस को समझने  के लिये देखे यहाँ ।  बैच फ़्लावर दवाओं  के लिये बीमारी  का नाम कोई मायने नही रखता ।  Acne vulgaris ( मुहाँसे ) से पीडित युवक/युवती के लिये क्रैब ऐपल उपयोगी चुनाव हो सकता है बर्शते अगर रोगी की मानसिक अवस्था उसको सहन करने की बिल्कुल न हो । स्क्लेरान्थस का हाल का ही केस मुझे स्मरण है , रोगी eczema ( अकोते ) से पीडित था और उससे उत्पन्न होने वाली खारिश रोगी को बैचेन कर देती थी । खारिश एक स्थान पर टिकती  भी न थी , एक जगह बदल कर दूसरी जगह  पर । स्क्लेरान्थस की कुछ ही खुराखों से उसे  खारिश से आराम मिला । बाकी का काम होम्योपैथिक  Constitutional दवा ने कर दिया ।

मानसिक लक्षणॊं को ध्यान मे रखते हुये फ़्लावर दवाओं का उपयोग सभी प्रकार के शारीरिक , मानसिक और मनोकायिक (psychosomatic diseases )  रोगों मे प्रभावी हुआ है विशेष कर मानसिक रोगॊ मे यह पद्दति प्रभावी सिद्ध हो सकती  है ।

होम्योपैथी और बैच फ़्लावर दवाओं मे कुछ समानतायें भी है । जैसे दोनों पद्द्ति मानसिक लक्षणॊं को प्राथमिकता देती हैं , दोनों मे सारे मानव को एक ईकाई मानकर ईलाज किया जाता है । लेकिन जहाँ बैच फ़्लावर सिर्फ़ मानसिक लक्षणॊं को आधार मानती है वहाँ होम्योपैथी मानसिक और शारिरिक दोनों को ही प्राथमिकता देती है । डाइनामेजेशन और प्रूविगं का बैच फ़्लावर मे कोई स्थान नही है ।

डॉ बाक द्वारा आविष्कृत फ्लावर रेमिडिज निम्म हैं :

एग्रीमोनी, आस्पेन, बीच, सेन्टौरी, सिराटो, चेरी प्लस, चेस्टनट बड,चिकोरी, क्लेमाटिस, क्रैब एपल, एल्म, जेन्शियन, गॉर्स, हीदर,होल्ली, हनीसकु, हार्नबीम, इम्पेशेंस, लार्च, मिम्युलस, मस्टर्ड, ओक, ओलिव, पाइन, रेड चेस्टनट, राक रोज, राक वाटर, स्क्लेरान्थस, स्टार आफ बेथलहम, स्वीट चेस्टनेट, वरवेन, वाइन,वालनट, वाटर वायलेट, व्हाइट चेस्टनट, वाइल्ड ओट, वाइल्ड रोज और विल्लो।

डोसेज और रीपीटीशन

  • एक्यूट रोगों में बैच फ़्लावर दवाओं को १५-२ मिनट के अन्तर पर या उससे अधिक जल्दी –२ दे सकते हैं लेकिन एक बार आराम मिलने पर दिन मे तीन बार ।
  • दवा को सीधे पानी मे डलकर या ग्लोबियूलूस मे डालकर भी प्रयोग कर सकते है ।
  • बैच फ़्लावर दवाओं की कोई पोटेन्सी नही होती , ड्र्ग एक्ट मे शायद प्रावधानों को देखते हुये दवा निर्माताओं को बैच फ़्लावर दवाओं के आगे ३० इंगित करना पड्ता है ।

बैच फ़्लावर दवाओं के बारे में कुछ और तथ्य :

  • बैच फ़्लावर दवाओं को होम्योपैथिक या अन्य दवाओं के साथ बिना रोक टोक के चला सकते हैं । यह दवायें होम्योपैथिक दवाओं को complement करती हैं । ये न तो दूसरी दवाओं के कार्य में दखल देती हैं और न ही अन्य दवाएँ इनकी क्रिया को प्रभावित करती हैं।
  • फ़्लावर दवाओं की  एक से अधिक दवायें  सुविधानुसार काम्बीनेशन कर के प्रयोग कर सकते हैं । होम्योपैथिक दवाओं की तरह बैच फ़्लावर में दवा सेलेकशन का झमेला कम ही रहता है ।
  • primary aggravation की संभावना फ़्लावर दवाओं मे नही होती इसलिये इसका प्रयोग बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरूष हर प्रकार के लोगों की प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है ।

मॆरी डायरी– “ बैच फ़्लावर रेमेडी– रॆसक्यू रॆमॆडी ( Rescue Remedy ) ”

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अगर बैच फ़्लावर औषधियों मे से एक दवा को निर्विवाद   रुप से चयन करने को कहा जाये तो रेस्क्यू रेमेडी का आसानी से चुनाव किया जा सकता है । एक  ऐसी औषधि जिसे हर होम्योपैथिक चिकित्सक की शेल्फ़ मे होना चाहिये लेकिन अफ़सोस वह  अधिकाशं चिकित्सकॊं के पास नही पायी जाती ।   बैच फ़्लावर औषधियों को प्रयोग मे न लाने के लिये जिम्मेदार CCH यानी सेन्ट्र्ल काउनसिल आफ़ होम्योपैथी का ऊबाऊ पाठ्यक्रम है जिसे B.H.M.S. के छात्रों पर थोपा गया है । इस विषय  पर चर्चा अन्य किसी लेख मे करुगाँ लेकिन इसमे कोई अतिशयोक्ति नही है कि एक समृद्ध होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका और उसके साथ अन्य वैकलिप्क पद्दतियों  का होम्योपैथिक पाठयक्रम मे उचित समावेश नही किया गया है ।

रेसक्यू रेमेडी में  पाँच बैच फ़्लावर दवाओं  का कम्बीनेशन है । इनमें से प्रमुख हैं :

  • राक रोज (Rock Rose)
  • इम्पेशेंस (Impatiens)
  • क्लेमाटिस (Clematis):
  • चेरी प्लम (Cherry Plum)
  • स्टार आफ़ बेथलम ( star of Bethlem )

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि रेसक्य़ू रेमेडी क काम आपातकालीन परिस्थितियों और प्राथिमिक उपचारों ( First Aid ) मे किया जाता है । दवा को खाने के लिये  देते हैं और साथ ही मे चोट और जलने की परिस्थितियों  मे इसको पानी मे डालकर बाहर से लगाने के लिये भी दे सकते हैं ।

हाल ही में मियामी विश्वविद्यालय द्वारा एक नव प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि बैच फ़्लावर औषधी रेसक्य़ू अवसाद और चिंता ग्रस्त रोगियों के लिये वरदान साबित हो सकती है । यह शोध कार्य मियामी राज्य के विशविधायलय के डॉ. रॉबर्ट हलबरस्टीन ने सर्कीन क्रियेटेव केन्द्र( SCLC )  के साथ संयोजित रुप से किया था ।

रेसक्य़ू रेमेडी के  पाँच घटकं दवाओं का कार्य क्षेत्र निम्म है :

राक रोज (Rock Rose) : आतंक, चरम सीमा का भय। राक रोज का सेवन तब करना चाहिए जब कोई एक दम आतंकित हो जाए, भले ही उसका स्वास्थ्य अच्छा हो या जब किसी दुर्घटनाग्रस्त होने से आतंक हो तो यह दवा प्रयोग की जाती है। दुर्घटना में बाल-बाल बचने के बाद भी उसका आतंक व्यक्ति पर छाया हो। रोगी के साथ दुर्घटना के कारण यदि आस-पास के लोगों में भी आतंक या भय छाया हो तो उन्हें भी यह दवा देनी चाहिए।

इम्पेशेंस (Impatience) : अधीरता,चिड़चिड़ापन, चरम मानसिक तनाव। किसी दुर्घटना के बाद की उत्तेजित अवस्था म चिडचिडापन और मानसिक तनाव से बचाती है ।

क्लेमाटिस (Clematis): उदासीनता, दिवास्वप्न देखना, असावधान। किसी दुर्घटना के फ़लस्वरुप हुई बेहोशी , खुमारी या स्वभाविक नींद से दूर करती है ।

चेरी प्ल्म (Cherry Plum): असहनीय पीडा , मानसिक नियंत्रण खोने का भय। घोर निराशा। स्नाययिक विकार के कारण घोर निराशा और उससे बचने के लिए आत्महत्या करने की चाह/प्रवृत्ति रखने वाले व्यक्तियों के लिए यह काफी उपयोगी औषधि है।

स्टार आफ़ बेथलम ( star of Bethlem ) : मानसिक या शारीरिक झटके के बाद के असर । मन पर लगने वाली चोटॊं का असर जिससे मानसिक और शारीरिक सन्तुलन का बिगड जाना ।

RESCUE REMEDY

A combination of five flower remedies useful as a First Aid in case of emergency or accident.
The components of Rescue Remedy are:
1) Star of Bethlehem – for trauma and numbness.
2) Rock Rose – for terror and panic.
3) Impatiens – for irritability and tension.
4) Cherry Plum – for fear of losing control.
5) Clematis – for the tendency to ‘pass out’, the sensation of being ‘far away’ that often precedes unconscious.

KEYNOTES

1-useful in emergency situations to prevent or quickly overcome the (mental) trauma.
2-useful in states of mental turmoil (after quarrels or disputes, after sudden bad news, after fright).
3-useful for impending events which may be causing anxiety or apprehension (visit to the dentist, attending divorce proceedings, a job interview, before a driving test or a surgery).
4-useful if one has to work in an atmosphere of permanent stress (stressful job, displeasure at work, in a courtroom, a hospital casualty department).
5-useful in burns, sprains, stings, bumps or blows, it can be used as a local application.
6-useful & ointment can be used as a precautionary to prevent soreness or blistering following friction by running or playing tennis etc.

यह भी देखें :

१- चेस्टनट–होम्योपैथिक और बैचफ़्लावर पद्दतियों मे उपयोग ( Chestnut–Homeopathic & Bach flower uses )
२-  मेरी डायरी से -“बैच फ़्लावर औषधि–पाइन”
३- मेरी डायरी से -बैच फ़्लावर औषधि -‘Vine’ – ‘वाइन’ और ‘वरवैन’ ( Vervain )

मेरी डायरी से -बैच फ़्लावर औषधि -‘Vine’ – ‘वाइन’ और ‘वरवैन’ ( Vervain )

 Vitis-vinifera

हिप्पोक्रेट्स से लेकर गैलन और फ़िर हैनिमैन ने इन्सान के स्वाभाव का विशेलेषण करने मे बहुत अंह भूमिका निभायी . जहाँ हिप्पोक्रेट्स (400 ई.पू.) का मानना था कि शरीर चार humors अर्थात रक्त,कफ, पीला पित्त और काला पित्त से बना है. Humors का असंतुलन, सभी रोगों का कारण है . वही गैलन Galen (130-200 ई.) ने इस शब्द  का इस्तेमाल  शारीरिक स्वभाव के लिये किया , जो यह निर्धारित करता है  कि शरीर  रोग के प्रति किस हद तक संवेदन्शील है । हिप्पोक्रेट के  Humour शब्द का तात्पर्य शरीर मे प्रवाहित हो रहे तरल पद्दार्थ से था हाँलाकि यह तकनीकी रुप से यह प्रचलित भावनाओं से जुडा था जैसे :

प्रसन्नता या खुशी का रक्त से संबध – सैन्गूयूनि टेम्परामेन्ट (Sanguine Temperament)
कफ़ का चिंता और मननशीलता से संबध – फ़ेलेगमेटेक ( phlegmatic Temperament)
पीले पित्त का क्रोध से संबध – कोरिक (Choleric Temperament)
उदासी का काले पित्त से – मेलोन्कोलिक (Melancholic Temperament)

इन चार स्वभावों को हम एक सक्षिप्त  उदाहरंण से  आसानी से समझ सकते हैं । एक होटल मे चार मित्र  सूप पीने जाते है । लेकिन अचानक चारों की नजर सूप मे तैरते बाल की तरफ़ पड जाती है  पहला  मित्र देखते ही आग बबूला हो उठा , गुस्से से उसने सूप का प्याला वेटर के मुँह पर दे मारा ( Choleric ) , दूसरे ने मुँह बनाया  अपने कोट को झाडा और सीटी बजाता हुआ निकल गया (Sanguine) , और तीसरा रुँआसा सा हो गया और बोला कि यह सब उसी की जिदंगी मे अक्सर क्यूं होता रहता है (Melancholic ) और चौथा मित्र तो बडे दिमाग वाला निकला , सूप मे से बाल को किनारे किया ;सूप पिया और वेटर से नुकसान हुये सूप के बदले दूसरे सूप की फ़रमाईश भी कर डाली ( phlegmatic)

इन चार स्वभावों के व्यक्तितव के कुछ  धन पक्ष भी हैं और  ॠण पक्ष भी  :

hippocratic temperament

4 humours in respective order: choleric, melancholic, phlegmatic, and sanguine

सैन्गूयूनि टेम्परामेन्ट (Sanguine Temperament):

धन पक्ष : हमेशा प्रसन्न रहने वाले, आत्मविशवास से भरपूर , आशावादी , बहिर्मुखी और जीवन को जीने वाले ।

ॠण पक्ष :आत्मसंतोष की कमी , संवेदन्शील, अल्पज्ञता, अस्थिरता, बाहरी दिखावा करने वाले और ईर्ष्या को झुकाव ।

फ़ेलेगमेटेक टेम्परामेन्ट ( phlegmatic Temperament) :

धन पक्ष :   अच्छी तरह से संतुलित,  जीवन के साथ संगत, भरोसेमंद, रचनात्मक और विचारशील, संतुष्ट

ॠण पक्ष : आलसी, अकर्मण्य . अपने  कर्तव्य की उपेक्षा ,  दुविधाग्रस्त, अपने कर्तवों  को टालने वाले , महत्वाकांक्षा विहीन ,  दूसरों को भी प्रेरित न कर पाना

कोरिक टेम्परामेन्ट (Choleric Temperament):

धन पक्ष : मजबूल इच्छाशक्ति वाले , दुनिया को अपने तरीके से चलाने वाले , आत्मविशवास से भरपूर

ॠण पक्ष : प्रचंड गुस्सा , अपने को श्रेष्ठ समझना , विरोधों को सहन न कर पाना , सहानभूति का अभाव , जीवन मे छ्ल , कपट और पाखंड का सहारा लेना

मेलोन्कोलिक टेम्परामेन्ट (Melancholic Temperament) :

धन पक्ष : प्रतिभाशाली, बेहद रचनात्मक , संवेदनशील, सपने देखने वाले , अतंर्मुखी, विचारशील,  आत्म त्याग की भावना से भरपूर , जिम्मेदार, विश्वसनीय

ॠण पक्ष : चिंता और अवसाद ग्रस्त , अपनी प्रतिभा का कम उपयोग करने वाले , मुखरता की कमी , आसानी से किसी को माफ़ न कर पाना , बेहद संवेदनशील

पूरी पोस्ट के लिये देखें : व्यक्तित्व विकास, शारीरिक भाषा और होम्योपैथी – एक अभिनव अवधारणा ( Constitutional Prescribing ,Body Language and Homeopathy )

लेकिन क्या यह संभव है कि व्यक्ति के स्वभाव मे दवायें बदलाव ला सकॆ । बहुधा  यह देखा गया है कि  लम्बे समय तक चारित्रिक लक्षणॊं के आधार पर चयनित खोम्योपैथिक औषधियां  व्यवाहार मे परिवर्तन अवशय लाती हैं । हाँलाकि कई होम्योपैथिक चिकित्सक  जैसे केन्ट ने लेसर राइटिगं मे इस तथ्य से इनकार किया है कि यह व्यक्ति के स्वभाव को बदल स्कती है। हाँ , यह लक्षण स्वभावत: दवाओं के चयन में अवशय कारगर होते हैं ।

लेकिन बैच फ़्लावर औषधियों के बारे मे कम से कम मैं कह सकता हूँ कि इनका कार्य मन के उस भाव को पकडने में कमयाब रहता है जिससे स्वभाव मे बदलाव की अपेक्षा हम कर सकते है ।

एक औषधि जो मुझे हमेशा स्मरण रही वह थी वाइन । हाँलाकि वाइन का इस्तेमाल मैने अधिक नही किया लेकिन  एक केस जो मुझे हमेशा स्मरण रहा और उसकी वजह से वाइन के  लक्षण भी ।

tyranny

दो साल पहले एक २८ वर्षीय युवक मे इसके प्रयोग करने का मौका मिला ।   पेशे से वह बिल्डिग कान्टॆकटर्था  और अधिकतर उसके  कार्य सरकारी क्षेत्रों मे चलते थे । देखने और व्यवहार  में वह स्मार्ट और खूबसूरत था  , कपडे पहनने से लेकर बोलने मे एक गरिमा थी , और  जीवन मे पैसा भी था और शौहरत  भी  ।  पिछ्ले कुछ समय से वह मेरे पास तनाव आदि समस्याओं के लिये इलाज कराता रहा  जो उसके कार्य को  देखते हुये स्वभाविक भी था क्योंकि उसके अनुसार अकसर भुगतान वगैरह की समस्याओं से उसे दो चार होना पडता था ।

कुछ महीने पूर्व उसका विवाह हुआ और इस दौरान मैने अकसर क्लीनिक मे उसको अपनी पत्नी से अकसर बिना बात झँझट करते देखा  । एक दिन उसके पिता ने ने मुझसे संपर्क किया कि वह मुझसे अपने पुत्र मे हो रहे असमान्य  व्यवाहर मे परिवर्तन के बारे मे सलाह लेना चाहते हैं  । उनके अनुसार “ मेरे लडके की प्रवृति घर हो या बाहर अपने  वर्चस्व को सबसे ऊपर रखने  की रहती है । वह यह चाहता है सब उस के अनुसार चलें । घर मे माँ , बहन या बाहर भी हर किसी के साथ उसकी नही बनती । हालाकि वह बहुत मेहनती भी है लेकिन इस स्वभाव के कारण अब तक तो ठीक  ठाक रहा क्योंकि हम उसके व्यवहार को नंजरदाज करते रहे । लेकिन अब पत्नी के आने के बाद उसका स्वभाव एक घर मे अधिक तनाव का कारण बन सा गया है । क्या होम्योपैथिक इसमे कुछ मदद कर सकती है ? ”

होम्योपैथिक  तो नही हाँ बैच फ़्लावर औषधि ‘वाइन’ को अन्य होम्योपैथिक दवाओं के साथ  जोड दिया गया , लम्बे समय तक चलने के दौरान मैने और खासकर उसके परिवार के लोगों ने उसके स्वभाव मे एक बढिया परिवर्तन देखा । न तो वह झगाडालू  रहा और न तानाशाह । और  यह संभव हुआ बैच फ़लावर औषधि ‘वाइन ‘से ।

तो क्या था वाइन मे जो श्री रा.स. के ऋण पक्ष को धन पक्ष मे बदलने मे मदददगार साबित हुआ ।

विटीऐसी परिवार की वाइन या ‘ वाइटस विनीफ़ेरा ‘के मानसिक लक्षण किसी तानाशाही व्यक्ति की प्रवृति से मिलते जुलते हैं । अत्यन्त अंहकारी , अभिलाषायें  बहुत ही उँची  , दूसरों पर छा जाने की प्रवृति, अपनी प्रभुता कायम रखना , अपने उद्देशय को पाने के लिये कुछ भी कर देना , तानाशाही स्वभाव

वाइन या अंगूर का वनस्पति नाम  ‘ वाइटस विनीफ़ेरा ‘ है  । होम्योपैथिक दवाओं मे इसके प्रयोग नही मिलते हैं , अलबत्ता यह आयुर्वेर्दिक और यूनानी दवाऒं मे अधिक प्रयोग होता है ।

हाँलाकि होम्योपैथिक दवाओं मे इससे सादृश दवायें लक्षणॊ के आधार पर चयन की जाती हैं । मुख्य लक्षण जो इस व्यक्तितव  के लिये प्रमुख हैं :

MIND – DICTATORIAL
MIND – DICTATORIAL – power, love of
MIND – HAUGHTY
MIND – EGOTISM
MIND – CONTEMPTUOUS

वाइन के सादृश औषधि है वरवैन ( vervain ) ।  वरवैन का रोगी भी जरुरत से अधिक उत्साह और अपनी शक्ति से अधिक कम करने का जनूनी होता है । लेकिन जहाँ वरवैन का जनून दूसरों के लिये मिसाल बनता है वही वाइन दूसरों से हुक्म बजाने मे अपनी महत्त्ता समझता है ।

Vine
Botanical
: Vitis Vinifera
Family: Vitaceae
Homeopathic remedy: Not used.
Description: Perennial, woody climbing vine; the  stems can grow up to 35 m length, but in cultivation usually reduced by annual pruning to 1–3 m. The leaves ar equite thin, circular to circular-ovate with branched tendrils. The fruits of the are used to produce vine or juice that can be directly consumed.
Medicinal  uses:  Analgesic,  Antiinflammatory,  Astringent,  Demulcent,  Diuretic,  Hepatic,  Laxative,
Lithontripic
Compare: Vervain
Keywords: Confident, Persuasive, Tyrannical, Self-assured
Dr Bach’s description
: Very capable people, certain of their own ability, confident of success. Being so assured, they think that it would be for the benefit of others if they could be persuaded to do things as they themselves do, or as they are certain is right. Even in illness they will direct their attendants. They may be of great value in emergency.
Essence: The Vine is a very capable person that is confident of his skills, ability and knowledge. He is
certain  that  he  is right  and he feels  that  other people should persuaded by him  to follow his goals, because these goals are the correct ones. In the positive state, this kind of people are very valuable in the crisis situations,  because  they have a clear idea about what  should be done and they will  guide others from the uncertainty.
In the negative state, the Vine tends to be very stubborn, overly self-confident and he forces other to do exactly as he commands. He may even use force to persuade them to what he wants. He tends to be tyrannical and he suppresses all opposition with all means necessary. This train manifests in the times of  sickness.  Although  the Vine person may have no knowledge of   the medical  procedures,  he will command the hospital personnel and he will direct them as he sees fit.
The difference between the Vervain and the Vine is that while the Vervain persuades others to follow his way by the means of example and with his enthusiastic energy, the Vine person is not interested in setting an example. He will force others to do as he commands without any thoughts whether this is right or not.

यह  भी देखें :