पिछ्ले कुछ हफ़्तों से लगभग सभी प्राइवेट क्लीनिक और सरकारी अस्पतालॊ मे डायरिया या दस्तों के रोगी बढे हैं । इनमे से नवजात शिशु और कम आयु के बच्चॊ की तादाद बहुत अधिक है ।
सर्दियों मे उल्टी और दस्त गर्मी के मुकाबले अधिक खतरनाक होते हैं । इन दिनों की मुख्य वजह ठंड होती है । सर्दियां शुरू होते ही रोटा वायरस सक्रिय हो जाता है। विंटर डायरिया रोटा वायरस के कारण ही होता है।
यह मौसम स्वास्थ के दृषिकोण से रोगरहित रहता है। बीमारियां बहुत कम पास फ़टकती हैं, लेकिन ऐसे बच्चे जो कमजोर होते हैं और जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है , उन्हें संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है। वह अक्सर विंटर डायरिया की चपेट में आ जाते हैं। आमतौर पर डायरिया एक हफ्ते में ठीक हो जाता है लेकिन अगर ये इससे ज्यादा समय तक रहे तो ये क्रॉनिक डायरिया कहलाता है और इसका इलाज समय पर न होने से ये खतरनाक भी हो सकता है लेकिन इसे जरा सी सावधानी बरत कर ठीक भी किया जा सकता है।
यदि दस्त का समुचित इलाज न किया जाये तो निर्जलीकरण ( शरीर मे पानी की कमी आ जाना ) हो सकती है । शरीर मे जल और अन्य द्र्व्यों की कमी के कारण मृत्यु भी हो सकती है ।
निर्जलीकरण की पहचान और लक्षण:
दस्त से बचाव के उपाय :
- मल त्याग के बाद बच्चों मे साबुन से हाथ धोने की आदत डालें ।
- खाने से पहले हाथ अवशय साफ़ करें।
- फ़ल और सब्जियाँ धो के खायें ।
- खाध पदर्थों को ढक के रखें ।
क्या करें :
- शिशु मे पानी की कमी को पूरा करें ।
- शिशुओं को W.H.O. ओ.आर.एस. लगातार देते रहें ।
- स्तनपान जारी रखें ।
- शिशु का खाना बन्द न करें , बल्कि उसे नरम खाध पदार्थ जैसे केला , चावल , उबले आलू आदि देते रहें ।
याद रखें :
- दस्त के सभी रोगियों का निर्जलीकरण के लिये वर्गीकरण करें । जहाँ गम्भीर निर्लजीकरण हो उसे क्लीनिक मे I.V. fluid से manage करें या अस्पताल रेफ़र करें ।
- यदि मल मे खून आ रहा हो तो उसे पेचिश के लिये वर्गीकृत करें और औषधि के चुनाव के लिये प्लान दो को देखें ।
क्या न करें :
- शिशु को सिर्फ़ ग्लूकोज या अकेला चीनी का घोल न दें । सिर्फ़ ग्लूकोज आधारित घोल शिशु के पेट में fermentation पैदा करते हैं जिससे बैक्टर्यिल संक्रमण की संभावनायें बढ जाती हैं ।
- ऐसे तरल पदार्थ न दें जिसमें कैफ़ीन हो जैसे कोला या काँफ़ी ।
- दूध या दूध से बनी वस्तुओं न दें ।
घर मे तैयार नमक-चीनी का घोल या W.H.O. ORS में किसको चुनें :
घर मे बनाये गये नमक-चीनी के घोल मे सबसे बडी दिक्कत सही अनुपात का मिश्रण न हो पाना है जिससे या तो नमक की अधिकता हो जाती है या फ़िर चीनी का अनुपात बढ जाता है जो दोनॊ ही हालातों मे शिशु के लिये हानिकारक सिद्द होती है । लेकिन फ़िर भी अगर O.R.S. उपलब्ध नही है तो यह तरीका कारगर है ।
बनाने की विधि :
एक लीटर अथवा ५ ऊबले और ठंडे किये पानी मे १ छॊटा चम्मच नमक एवं ८ छॊटॆ चम्मच चीनी डालकर अच्छी तरह घोल ले और इस मिश्रण को २४ घंटॆ के अन्दर ही प्रयोग करें । बाकी बचे मिश्रण को फ़ेंक दें ।
होम्योपैथिक औषधियाँ :
शिशुओं मे आम प्रयोग होने वाकी होम्योपैथिक औषधियों की यह एक संक्षिप्त जानकारी है । [नोट : स्वयं चिकित्सा करने की गलती न करें , आप का चिकित्सक ही आपको सही सलाह दे सकता है । ]
Winter Diarrhoea के अधिकतर रोगी Dulacamara , Aconite या Nux Moschata से अल्प समय मे स्वस्थ हो जाते हैं ।
RECTUM – DIARRHEA – cold – taking cold, after ( source : Syntehesis 9.0 )
acon. agra. Aloe ant-t. ars. bar-c. bar-s. Bell. Bry. Calc. camph. Caust. Cham. chin. chinin-ar. coff. coloc. con. cop. DULC. elat. gamb. graph. guar. Hyos. Ip. Jatr-c. kali-c. kreos. laur. lil-t. merc. Nat-ar. Nat-c. nat-s. nit-ac. NUX-M. Nux-v. op. Ph-ac. podo. puls. Rhus-t. rumx. sabin. samb. sang. sel. sep. Sulph. tub. verat. zing.
RECTUM – DIARRHEA – winter
asc-t. nat-s. Nit-ac.
अगर डल्कामारा या नक्स मासकैटा कार्य नही कर रही है तो प्लान A या फ़िर प्लान B से लक्षणॊ का चुनाव करे ।
1. प्लान “A”
2. प्लान “B ”:
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