गतांक से आगे—-
4. डेंगू बुखार:[Dengue fever]-
इसे हडडी तोड बुखार भी कहते हैं। इसका समय काल 3 दिन तक रहता है पर इतने थोडे से समय मे ही समूचे शरीर मे इतना दर्द होता है कि रोगी एकदम कातर हो जाता है। 3-7 दिन के इन्कूबेशन पीरियड के बाद रोग का अचानक आक्र्मण होता है, बुखार 102-106 फ़ा तक चढता है, सभी माँस पेशियों में दर्द ,जी मिचलाना, पित्त का वमन, लसिका ग्रनिथयों (lymphatic glands) का फ़ूलना, शरीर पर खसरा की तरह दाने निकलना इसके प्रमुख लक्षण हैं। एक बार ठीक हो जाने के बाद रोग दोबारा भी हो सकता है। डेंगू से बचाब के लिये मच्छरों पर नियंत्रण बहुत आवशयक है क्योंकि डेंगू बुखार का वाइरस मच्छरों के काटने से रोगी को संक्रमित करता है।
5. इन्फ़्लुएन्जा [Influenza]-
इन्फ़्लुएन्जा संक्रामक तो है ही और साथ मे बहुव्यापक भी है,इसका कारक भी वाइरस है। जाडा लगना,बुखार,आँख से पानी गिरना,तेज जुकाम इस रोग के प्रधान लक्षण है॥ साधारण सर्दी से इसके लक्षण मिलते जुलते हैं। आमतौर से इन्फ़्लुएन्जा का ज्वर 4-5 दिनों से अधिक नहीं रहता ; पर यदि कोई अन्य उपसर्ग साथ मे जुड जाते हैं तो आरोग्य होने मे समय लगता है। वृददों मे यह एक घातक रोग हो सकता है। रोगी अत्यंत कमजोरी की वजह से बलगम निकाल नही पाता और इसी वजह से उसकी मृत्यु हो जाती है।