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लखनऊ का नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कालेज अब देश का पहला होम्योपैथिक विशवविधालय बनने की ओर अग्रसर

( चित्रों के लिये आभार : डां मोएज अहमद )

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नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कालेज ,गोमतीनगर ,  लखनऊ ( National Homeopathic Medical College, Lucknow)

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ओ.पी.डी. -N.H.M.C. लखनऊ ( O.P.D.-N.H.M.C. Lucknow)

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हैनिमैन चौराहा -गोमतीनगर , लखनऊ

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  डां सैमुएल हैनिमैन की प्रतिमा- N.H.M.C. के प्रागंण में

  N.H.M.C. मे पढ रहे और यहाँ से निकले किसी भी चिकित्सक के लिये यह गौरव भरे क्षण हो सकते हैं । मेरे भी छ्ह: साल यहाँ पर गुजरे । तब यह ऐसा न था । सरकारी उपेक्षाओं की  शिकार होम्योपैथी हमेशा से ही रही , बहुत कम होम्योपैथिक चिकित्सक जानते होगें कि भारत मे होम्योपैथी का पहला डिग्री कोर्स N.H.M.C. मे ही शुरु हुआ , उस समय यह G.H.M.S. के नाम से कानपुर विशवविधालय द्वारा प्रदान किया जाता था । C.P.M.T. द्वारा नये होम्योपैथिक छात्रों का चयन जब आरम्भ हुआ तब भी G.H.M.S. करीब दो साल तक चला । उस समय ऊ.प्र. मे डिग्री और डिप्लोमा कोर्स दोनों ही चल रहे थे । लखनऊ मे तब मोहन होम्योपैथिक मेडिकल कालेज और N.H.M.C दोनों ही चालू थे , बाद मे N.H.M.C. की नयी बिल्डिगं बनने के बाद दोनों मेडिकल कालेज को एक ही मे संगृहीत कर के आगरा विशवविधालय से संबधित कर दिया गया और सेन्ट्रल काउन्सिल आफ़ होम्योपैथी ने डिप्लोमा कोर्स को समाप्त करके पूरे भारत में एक ही डिग्री कोर्स B.H.M.S. के नाम से चलाने का निर्णय लिया । बाकी की पूरी दास्तान डां राजीव सिंह जी आप  मुझसे भी अच्छी तरह बता सकते हैं ।

लेकिन सबसे पहले दैनिक जागरण मे छपी इस खबर के कुछ मुख्य बिन्दुओं पर गौर करते हैं । ( पूरी खबर के लिये नीचे देखें । )

………..निदेशालय द्वारा सरकार को भेजे गये प्रस्ताव में नेशनल होम्योपैथिक कालेज लखनऊ में परास्नातक पाठ्यक्रम शुरू होने के बाद इसी संस्थान को होम्योपैथी विवि का दर्जा देने की संस्तुति की गयी है

…….इसके अलावा नेशनल होम्योपैथी मेडिकल कालेज लखनऊ, होम्योपैथिक मेडिकल कालेज इलाहाबाद और होम्योपैथिक मेडिकल कालेज कानपुर में आर्गन आफ मेडिसिन, मडिसिन मेरेटियामेडिका और होम्योपैथी रिपट्री विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने को मंजूरी दे दी गयी हैं।
अगले पांच वर्षो में वर्तमान में संचालित सभी होम्योपैथिक मेडिकल कालेजों में परास्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।

यह खबर अगर वाकई मे सच में बदल जाये  तो इससे अधिक प्रसन्नता की बात  नहीं हो सकती । और सच मे देखा जाये तो N.H.M.C. इस का हकदार भी है ।

होम्योपैथी निदेशालय द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को अमली जामा पहनाते हुए सरकार ने आने वाले पांच वर्षो के दौरान राज्य में दस होम्योपैथिक मेडिकल कालेज और एक होम्योपैथिक स्कूल आफ फार्मेसी की स्थापना करने का भी प्रावधान किया है। …….चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी परफार्मेस रिपोर्ट के अनुसार उक्त सातों होम्योपैथिक मेडिकल कालेजों से प्रतिवर्ष केवल तीन सौ डाक्टर ही उपलब्ध हो पाते हैं अतऱ् राज्य की 18 करोड़ की आबादी को देखते हुए आने वाले पांच वर्षो में दस नये होम्योपैथिक मेडिकल कालेज खोलने का प्रावधान भी सरकार ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में किया है।

 

होम्योपैथिक कालेजों के प्रान्तीयकरण करते समय उस समय सरकार ने यह दलील रखी थी कि इतने अधिक कालेजों का रख-रखाव संभव नही है और कालेजों की संख्या सीमित कर दी जाये  ताकि उनका कार्य-संचालन और सुविधायें अच्छे स्तर पर आ जायें । क्या वाकई मे स्तर इन कालेजों का इतना ऊपर उठ चुका है ? आज देखें तो ऊ.प्र. में किसी भी होम्योपैथिक कालेज में सेन्ट्र्ल काउन्सिल द्वारा बाध्य शिक्षकों और डिमान्सट्रेटरों की संख्या किसी भी स्तर के मापक पर नहीं उतरती ।

तो फ़िर सच क्या है :

सच तो यह है कि अब सरकार और स्वास्थ निदेशालाओं की तरह मोटी मलाई खाने की फ़िराक मे है । ऊ.प्र. मे डेन्टल कालेजों के हाल से ही सबक लिया जा सकता है । लखनऊ मे ही करीब ५-६ डेन्टल कालेज खुल चुके हैं और प्रति वर्ष फ़ीस के रुप मे मोटी मलाई खा रहे है ( करीब १.७ लाख से २ लाख तक ) इसमे डोनेशन शामिल नही है जो पहले वसूल लिया जाता है ।

M.B.B.S. में भी इस रोग की शुरुआत हो चुकी है । लखनऊ के एक और प्राइवेट कालेज  मे जहाँ तक मुझे ज्ञात है कि M.B.B.S. मे ऐडेमीशन के समय ३० से ३५ लाख डोनेशन के नाम पर वसूले जाते हैं ।

और पढाई का स्तर इन प्राइवेट डेन्टल कालेजों मे क्या है , वह किसी से छुपा नही है । एक-आध डेन्टल कालेजों मे तो जबरन सप्लीमेन्टरी देकर धन उगाहने का अच्छा तरीका इनके प्रबंधकों ने शुरु कर दिया है जो करीब ३०,०००-४०,००० तक होता है ।यही हाल आगे आने वाले दिनों मे होम्योपैथी मे भी होने जा रहा है , इस बात को आप अच्छी तरह समझ लें । क्या कोई यह उम्मीद करता है कि आने वाले दिनों मे कोई भी सरकार नये कालेज खोलेगी । यह सब उन प्राइवेट कालेजों के लिये अपरोक्ष रुप मे मदद देने  के सिर्फ़ बहाने मात्र हैं । 

 अब देखते हैं दैनिक जागरण मे छपे  उस समाचार पर :

राजधानी में खुलेगा होम्योपैथिक विश्वविद्यालय
स्त्रोत : दैनिक जागरण 4-8-2007
लखनऊ, 3 अगस्त (आशीष मिश्र) उत्तर प्रदेश में चल रहे होम्योपैथिक मेडिकल कालेजों पर प्रशासनिक व शैक्षिक नियंत्रण के लिए सरकार ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में होम्योपैथिक विश्र्वविद्यालय खोलने का प्रावधान किया है। होम्योपैथी निदेशालय द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को अमली जामा पहनाते हुए सरकार ने आने वाले पांच वर्षो के दौरान राज्य में दस होम्योपैथिक मेडिकल कालेज और एक होम्योपैथिक स्कूल आफ फार्मेसी की स्थापना करने का भी प्रावधान किया है। वर्तमान में राज्य के सात राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कालेज आगरा के डा. भीमराव अम्बेडकर विश्र्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं। विश्र्वविद्यालय द्वारा परीक्षाओं का संचालन व परीक्षाफल आदि की घोषणा समय से न होने के कारण उक्त कालेजों के संचालन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी समस्या के समाधान के लिए सरकार ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्र्वविद्यालय की तर्ज पर राजधानी में एक होम्यौपैथिक विश्र्वविद्यालय खोलने का प्रावधान किया है जिससे राज्य के सारे होम्योपैथिक मेडिकल कालेज सम्बद्ध किये जायेंगे। चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी परफार्मेस रिपोर्ट के अनुसार उक्त सातों होम्योपैथिक मेडिकल कालेजों से प्रतिवर्ष केवल तीन सौ डाक्टर ही उपलब्ध हो पाते हैं अतऱ् राज्य की 18 करोड़ की आबादी को देखते हुए आने वाले पांच वर्षो में दस नये होम्योपैथिक मेडिकल कालेज खोलने का प्रावधान भी सरकार ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में किया है। इसके अलावा नेशनल होम्योपैथी मेडिकल कालेज लखनऊ, होम्योपैथिक मेडिकल कालेज इलाहाबाद और होम्योपैथिक मेडिकल कालेज कानपुर में आर्गन आफ मेडिसिन, मडिसिन मेरेटियामेडिका और होम्योपैथी रिपट्री विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने को मंजूरी दे दी गयी हैं।
अगले पांच वर्षो में वर्तमान में संचालित सभी होम्योपैथिक मेडिकल कालेजों में परास्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य के सात होम्योपैथिक मेडिकल कालेज, 1482 राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय कार्य कर रहे हैं। इन अस्पतालों में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित फार्मेसिस्टों की जरूरत पड़ती है किन्तु वर्तमान में राज्य में होम्योपैथिक फार्मेसिस्टों के प्रशिक्षण के लिए कोई संस्थान नहीं है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने होम्योपैथिक स्कूल आफ फार्मेसी खोलने का भी निर्णय लिया है। निदेशक होम्योपैथी प्रो. बीएन सिंह बताते हैं कि निदेशालय द्वारा सरकार को भेजे गये प्रस्ताव में नेशनल होम्योपैथिक कालेज लखनऊ में परास्नातक पाठ्यक्रम शुरू होने के बाद इसी संस्थान को होम्योपैथी विवि का दर्जा देने की संस्तुति की गयी है। डा. सिंह ने बताया कि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में सरकार द्वारा किये गये प्रावधानों को अमल में लाने के लिए केंद्रीय होम्योपैथी परिषद और विश्र्वविद्यालय अनुदान आयोग से मदद ली जा रही है।

अगर आप N.H.M.C. के छात्र /चिकित्सक हैं या रह चुके हैं तो अपने खट्टे-मीठे अनुभवों और अपनी प्रतिक्रिया को यहाँ रख सकते हैं ।



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