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एक पुरानी पोस्ट की याद आ गयी जो वाइरल संक्रमण विशेषकर खसरा , छॊटी माता और कर्ण मूल पर कई साल पहले लिखी थी । होली के बाद लखनऊ मे जिस तरह से खसरा , चेचक और कर्णमूल के केस बढॆ हैं , एक बार फ़िर होम्योपैथिक थेरापिटिकस को स्मरण करने की आवशयकता पड गयी है ।

होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें

बदलता हुआ मौसम , बारिश के पानी मे भीगना, रिमझिम फ़ुआरों का आनन्द किसे नही डोल देता, लेकिन उसके साथ लेकर आता है तमाम तरह के वाइरल संक्रमण । फ़िर उसके साथ हमारे नगर निगमों की मेहरबानी जो नल के पानी के साथ प्रदूषित पानी देना अपना फ़र्ज समझते है, वह भी् विभन्न तरह के वाइरल और बैक्टीरियल संक्रमणों के जिम्मेदार होते है। वाइरल संक्रमण कोई आवशयक नही कि बारिश के मौसम की ही मार हो, होली के आसपास और अन्य महीनो मे खसरा[measles], छोटी माता[chicken pox], कर्णमूल[mumps], इनफ़लूनजा[influenza], डेंगू बुखार[dengue fever] का हो जोर या फ़िर प्रदूषित पानी की वजह से पीलिया [hepatitis-jaundice], मियादी बुखार[typhoid] जो कि मूलभूत बैक्टीरियल संक्रमण है आम इन्सान की जिन्दगी को तंग करते रहते हैं।
सबसे पहले लेते हैं वाइरल संक्रमण और देखते हैं कि होम्योपैथी इसमे कितनी मदद कर सकती है। जहां तक तुलनात्मक प्रशन है,एलोपैथी जहां वाइरल में अपने को असहाय पाती…

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वाइरल संक्रमण और होम्योपैथी-खसरा,छॊटी माता और कर्ण-मूल

बदलता हुआ मौसम , बारिश के पानी मे भीगना, रिमझिम फ़ुआरों का आनन्द किसे नही डोल देता, लेकिन उसके साथ लेकर आता है तमाम तरह के वाइरल संक्रमण । फ़िर उसके साथ हमारे नगर निगमों की मेहरबानी जो नल के पानी के साथ प्रदूषित पानी देना अपना फ़र्ज समझते है, वह भी् विभन्न तरह के वाइरल और बैक्टीरियल संक्रमणों के जिम्मेदार होते है। वाइरल संक्रमण कोई आवशयक नही कि बारिश के मौसम की ही मार हो, होली के आसपास और अन्य महीनो मे खसरा[measles], छोटी माता[chicken pox], कर्णमूल[mumps], इनफ़लूनजा[influenza], डेंगू बुखार[dengue fever] का हो जोर या फ़िर प्रदूषित पानी की वजह से पीलिया [hepatitis-jaundice], मियादी बुखार[typhoid] जो कि मूलभूत बैक्टीरियल संक्रमण है आम इन्सान की जिन्दगी को तंग करते रहते हैं।
सबसे पहले लेते हैं वाइरल संक्रमण और देखते हैं कि होम्योपैथी इसमे कितनी मदद कर सकती है। जहां तक तुलनात्मक प्रशन है,एलोपैथी जहां वाइरल में अपने को असहाय पाती है वही होम्योपैथी बैक्टीरियल की तुलना मे वाइरल संक्रमणो में अधिक सक्षम और कारगर रहती है।

1:-खसरा[Measles]:-

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खसरा संक्रामक रोग है ,जिसके लक्षण होते हैं-तीव्र जुकाम,आखों से पानी आना,खांसी, सर्दी लगना,बुखार और चकत्ते पडना।जैसे ही चकत्ते पडते हैं, आखों से पानी जाने और रोशनी असह्य लगने के साथ बुखार 105० फ़ा तक बढने की संभावना रहती है। रोग के लक्षण 5-8 दिन तक रहते है। अगर उचित ढंग से इलाज न किया जाय तो न्यूमोनिया होने का खतरा बना रहता है। खसरा संक्रामक रोग है और अधिकांश बच्चे ही इसके शिकार होते हैं लेकिन बडे भी इससे संक्रमित हो सकते हैं। अकसर जाडे समाप्त होने के बाद जब मौसम में बदलाव होता है तब खसरे के मरीज बढ जाते हैं।
measles

2- छोटी माता [chicken pox]

Chicken pox 001

यह भी संक्रमित रोग है, बच्चे और बडे दोनो ही समान रूप से इससे संक्रमित हो सकते है। प्रारम्भिक लक्षणो मे शारीरिक थकावट,हल्का बुखार,और शरीर पर फ़फ़ोलों का उत्पन होना, जो छोटी माता की पहचान भी होती है। इसका समय काल लगभग 10 दिन रहता है।
chicken pox chart

3- कर्णमूल या कनफ़डे [mumps]

mumps

कर्णमूल भी संक्रामक रोग है जिसकी पहचान एक या एक से अधिक गलक्षत (parotid gland) की सूजन,साथ मे हल्का बुखार, मुँह खोलने मे परेशानी और दर्द के रूप मे जानी जाती है। रोग की समय सीमा लगभग 10-15 दिन होती है। अगर उचित ढंग से इलाज न किया जाय तो पुरुषों मे अंड कोष और औरतों मे स्तन की सूजन होने का खतरा बना रहता है।
mumps
आगे जारी…..