Category Archives: Avogadro number and homeopathy

होम्योपैथिक औषधियों की न्यून मात्रा और एवोगेड्रो ( Avogadro’s ) की संख्या – क्या एवोगेड्रो की संख्या से होम्योपैथी का मूल्याकंन करना उचित है ?

homeopathy explained

होम्योपैथिक औषधियों के विरोध के प्रमुख कारणॊं मे एक प्रमुख कारण होम्योपैथिक औषधियों की न्यून मात्रा   है । होम्योपैथिक औषधियों की न्यून मात्रा को विस्तार मे समझने के लिये औषधि निर्माण की प्रक्रिया को समझना पडेगा । होम्योपैथिक औषधियों मे प्राय: दो प्रकार के स्केल प्रयोग किये जाते हैं ।

क) डेसीमल स्केल ( Decimal Scale )

ख) सेन्टीसमल स्केल ( Centesimal Scale )

क) डेसीमल स्केल मे दवा के एक भाग को vehicle ( शुगर आग मिल्क ) के नौ भाग से एक घंटॆ तक कई चरणॊं मे विचूर्णन ( triturate ) किया जाता है । इनसे बनने वाली औषधियों को X शब्द से जाना जाता है जैसे काली फ़ास 6x इत्यादि । 1X  बनाने के लिये दवा का एक भाग और दुग्ध-शर्करा का ९ भाग लेते हैं , 2X के लिये 1X का एक भाग और ९ भाग दिग्ध शर्करा का लेते हैं ; ऐसे ही आगे कई पोटेन्सी बनाने के लिये पिछली पोटेन्सी का एक भाग लेते हुये आगे की पावर को बढाते हैं । डेसीमल स्केल का प्रयोग ठॊस पदार्थॊं के लिये किया जाता है ।

ख) सेन्टीसमल स्केल मे दवा के एक भाग को vehicle ( एलकोहल) के ९९ भाग से सक्शन किया जाता है । इनकी इनसे बनने वाली औषधियों को दवा की शक्ति या पावर से जाना जाता है । जैसे ३०, २०० १००० आदि ।

सक्शन सिर्फ़ दवा के मूल अर्क को एल्कोहल मे मिलाना भर नही है बल्कि उसे सक्शन ( एक निशचित विधि से स्ट्रोक देना )  करना है । आजकल सक्शन के लिये स्वचालित मशीन का प्रयोग किया जाता है जब कि पुराने समय मे यह स्वंय ही बना सकते थे । पहली पोटेन्सी बनाने के लिये दवा के मूल अर्क का एक हिस्सा और ९९ भाग अल्कोहल लिया जाता है , इसको १० बार सक्शन कर के पहली पोटेन्सी तैयार होती है ; इसी तरह दूसरी पोटेन्सी के लिये पिछली पोटेन्सी का एक भाग और ९९ भाग अल्कोहल ; इसी तरह आगे की पोटेन्सी तैयार की जाती हैं ।

विरोध का मूल कारण और एवोगेड्रो ( Avogadro’s  ) की परिकल्पना

रसायन विज्ञान के नियम के अनुसार किसी भी वस्तु को तनु करने की एक परिसीमा है और इस परिसीमा मे रहते हुये यह आवशयक है कि उस तत्व का मूल स्वरुप बरकरार रहे । यह परिसीमा आवोग्राद्रो की संख्या ( 6.022 141 99 X 1023 ) से संबधित है जो होम्योपैथिक पोटेन्सी 12 C से या 24 x से मेल खाता है । यानि आम भाषा मे समझें तो होम्योपैथिक दवाओं की १२ वीं पोटेन्सी और 24 X पोटेन्सी मे दवा के तत्व विधमान रहते हैं उसके बाद नही । होम्योपैथिक के विरोधियों के हाथ यह एक तुरुप का पत्ता था और जाहिर है उन्होने इसको खूब भुनाया भी ।

यह बिल्कुल सत्य है कि रसायन शास्त्र के अनुसार होम्योपैथी समझ से बिल्कुल परे है । लेकिन पिछले २४ वर्षों  मे १८० नियंत्रित ( controlled ) और ११८  यादृच्छिक ( randomized )  परीक्षणों को अलग -२ ४ मेटा तरीकों  से होम्योपैथी का विश्लेषण करने के उपरांत प्रत्येक मामले में  शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि होम्योपैथी दवाओं से मिलने वाले परिणाम प्लीसीबो से बढ कर हैं ।

होम्योपैथी के संबध मे प्राथमिक प्रशन उभरता है कि क्या सक्शन ( succession ) किये गये SAD ( serially agitated dilutes )  को तरल वाहनों जैसे एल्कोहल या जल  ( liquid vehicles e.g. alcohol , water etc )  से अलग कर के पहचान की जा सकती है जो होम्योपैथिक औषधि के रुप मे उपचार के लिये प्रयोग किये जाते हैं । हाँलाकि इससे प्लीसीबो के आरोपों से मुक्ति नही पा जा सकती लेकिन इससे पता अवशय चलता है कि हर औषधि की अपनी विशेषता क्या है ।

एक सदी से  मेडिकल साहित्य की समीक्षा करने से पता चलता है कि ऐसे कई रिपोर्ट उपलब्ध हैं जिससे यह पहचान की जा सकती है कि इन उच्च  potentised  dilutes का प्रभाव जीवाणु , प्राणि विषयों , वनस्पति और यहाँ तक कि जन्तुओं पर भी असरदारक है । इनके लिये भौतिकी और बायोकेमिस्ट्री दोनों का ही समय-२ पर प्रमाण स्वरुप सहायता ली गई । हाँलाकि इन रिपोर्टों से SAD की आणविक संरचना समझ मे नही आती लेकिन यह बिल्कुल तय है कि यह SAD  तरल वाहनों ( liquid vehicles ) से हटकर हैं ।

इस विषय पर पहल्रे भी चर्चा हो चुकी है । देखें होम्योपैथी -तथ्य एवं भ्रान्तियाँ ” प्रमाणित विज्ञान या केवल मीठी गोलियाँ “( Is Homeopathy a trusted science or a placebo )  लेकिन नवीनतम शोघॊं मे  रसायन शास्त्री श्री बिपलब चक्र्वर्ती और डा. मो. रुहल अमीन के शोध होम्योपैथी औषधियों और एवोगेड्रो  संख्या पर प्रकाश डालने वाले हैं । उनके ब्लाग http://www.aminchakraborty.blogspot.in/  नवीन संभवनाओं को जन्म देता है । बिपलब चक्र्वती एक समय होम्योपैथिक के बडे आलोचक रहे हैं  लेकिन पिछ्ले १० सालॊ से बिपलब और डा. अमीन होम्योपिथिक दवाओं के सांइनटैफ़िक पहलू पर कार्य कर रहे हैं । आपके कई शोध पत्र विभिन्न शोध संस्थानों द्वारा सराहे गये है ।

आवाग्रादो की परिकल्पना और होम्योपैथी के विवाद मे अमीन लिखते है :

How and Why Avogadro’s Number does not Limit efficacy of the Homeopathic Remedies.
#       Homeopathic dilutions have been used since 1800 and remained unchallenged until determination of Avogadro’s number.
#       Homeopathic remedies were challenged only after the determination of Avogadro’s number by Millikan in 1910, a number of years after homeopathy came into use.
#       A mathematical calculation based on Avogadro’s Number led to the conclusion that homeopathic dilution must be nothing but placebo after homeopathy had already been used for 109 years !!
#       It is not proper to discount homeopathy simply on the basis of Avogadro’s number without clarifying the existing fundamental contradictions in science as detailed above.
#       In conventional medicines the molecules are believed to convey the medicinal power in the living body but in homeopathic dilutions it is not the molecules of medicine but the  electrical strain induced in the vehicle, by the  substance, that conveys the medicinal power of a substance in the living body.
#       When preparing serial homeopathic dilutions the electrical strain of the latter differs from the former dilution in regards to difference in molecular orientations of water  but cannot be determined due to non-availability of any such scientific instruments and for which the homeopathic dilution cannot be held responsible.
Source : How and why Homeopathy is Scientific

डा. रुहल अमीन और श्री बिपलब चक्रवर्ती के अन्य शोध लेखों को देखने के लिये निम्म लिंक पर जायें: