हंगरी के इन्संटीटूयट आफ़ बिहेवेरियल सांइस , बुडापोस्ट के शोधकर्ताओं ने यह पाया कि संगीत अनिद्रा के रोगियों मे अच्छी नीद लाने मे सहायक हो सकता है । लेकिन वह यह भी कहते हैं कि यह आप पर निर्भ्रर करता है कि आप किस प्रकार का संगीत सुनते हैं ।
सबसे पहले विवरण :
- अनिद्रा के शिकार ९४ छात्रों को तीन समूह मे तीन सप्ताह के अध्ययन के लिये बाँटा गया ।
- एक समूह को ४५ मिनट का शास्त्रीय संगीत सुनने के लिये कहा गया ।
- दूसरे समूह को आडियो पुस्तक पढने के लिये दी गई |
- और तीसरे समूह को कोई भी सलाह नही दी गई ।
नीदं की गुणवता को माँपने के लिये Pittsburg Sleep Quality सूचांनाक और अवसादों को नापने के लिये Beck Depression Inventory की सहायता ली गई ।
और परिणाम :
- संगीत ने नीद की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार की भूमिका दी ।
- नीदं की गुणवत्ता मे आडियो पुस्तक और तीसरॆ समूह को दिये विकल्पों से कोई भी लाभ नही हुआ ।
- अवसाद ( depression ) के लक्षण में भी संगीत सुनने वाले समूह को काफ़ी लाभ हुआ ।
निष्कर्ष :
अगली बार जब नींद न आये तो शास्त्रीय संगीत को सुनिये और मस्ती से सो जाइये । हाँ , अलबत्ता ब्लागिगं करने वालों के लिये इसमे कोई भी सलाह नही दी गई जो एक चिन्ता का विषय है । अनूप जी आप सुन रहे हैं , इतनी लम्बी-२ पोस्टे , देर रात तक जगना और भाभी जी की शिकायतें , सब चिट्ठाकरों के सामने सबूत के रुप मे है 🙂
सही है लेकिन भैया हम अनिद्रा के शिकार नहीं हैं। धांस के सोते हैं। कभी-कभी इत्ता सोते हैं कि थक जाते हैं और थककर फ़िर सो जाते हैं।
संगीत का तो पता नही, लेकिन हम न्यूज चैनल के समाचार देखते देखते अक्सर सो जाते है। सबसे ज्यादा मुफीद है, संदीप पाटिल वाला वॉह क्रिकेट वाला प्रोग्राम, बहुत अच्छी नींद आती है। बस बीच बीच मे विज्ञापन नींद खोल देते है, अन्यथा बहुत सालिड प्रोग्राम है, नींद के लिए। ट्राई करिएगा।
हम तो अतिनिद्रा के रोगी है, और संगीत के शौकीन भी।
.. फिर नीरस टीवी कार्यक्रम भी देखने पड़ते हैं (जबरन) अब बताईये भला हमारा क्या हाल होता होगा?
हमारे लिये भी कोई उपाय बताईये ना!
🙂