शनिवार को दोपहर मे अचानक क्लीनिक मे जब मोबाइल ने ध्यान भंग किया तो उधर से आवाज आई , “मै बोल रहा हूँ , पहचाने ? ” और फ़टाक से बिजली की तरह आवाज को आखिर पहचान ही लिया , यह आवाज अनूप शुक्ल जी यानि फ़ुरसतिया जी की थी . हाँ , कुछ दिन पहले होली पर ही तो इसी अन्दाज मे बात हुई थी . कहने लगे , ” अरे मै कल सुबह लखनऊ आऊगाँ और आपसे और पानी के बताशे “अनुराग भाई “ से भी मिलने आऊगाँ.” मैने सुबह अनूप जी से कहा कि आप पहले मेरे यहाँ आ जायें , फ़िर उसके बाद हम दोनो अनुराग जी के यहाँ चलेगें. लेकिन दोपहर को अनुराग ने फ़ोन पर कहा कि समय बरबाद करने से क्या फ़ायदा , हम लोग एक ही जगह यानि मेरे निवास पर मिलते हैं.
तो इस तरह शुरु हुई यह छोटी सी ब्लागारिया मुलाकात . मेर्री पत्नी ’अनिका ’से दोनो का परिचय हुआ और यह जानकर कि अनिका कानपुर से ही हैं ,अनूप भाई तो कुछ अधिक ही खुश दिखे , इन कानपुरियों के साथ बस यही दिक्कत है , जहाँ कानपुरिये देखे बत्तीसी दिखा दी 😆 😆 😆
लेकिन अनूप भाई की खुशी अधिक देर तक कायम न रह पायी क्योंकि अनुराग ने अनूप जी को कानपुर का होने के नाते भाई का दर्जा दे दिया और अपने को देवर का . अब अनूप जी के सामने परेशानी कि बहन के आयें हैं तो खायें कैसे ? सबसे नीचे देखिये कि बेचारे कितने दुखी दिख रहे हैं . 😦
खैर मान मनौवत के बाद उनको खाने को राजी कर ही लिया 💡 . नारद , जीतूभाई , समीर जी , अफ़लातून जी , पंकज और संजय बेगाणी , प्रमेन्द्र , शुएब और हमारे सम्मानित मास्साब के बारे मे खुल कर चर्चा हुई. शाम कैसे आ गयी , मालूम नही पडा , लेकिन मुझे तो क्लीनिक के लिये खिसकना था और इसके बाद यह दोनो अगले दो घटॆं तक सुना है किसी पेड के नीचे बिल्लागिरी करते पाये गये . 😯 🙄
अनूप भाई , मै और अनुराग जी
अनूप जी और अनुराग
अनूप जी और मेरी पत्नी ’अनिका’