स्वाइन फ़्लू या शूकर इन्फ़्लूएंजा

शूकर इन्फ्लूएंजा, जिसे एच1एन1 या स्वाइन फ्लू भी कहते हैं, विभिन्न शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणुओं मे से किसी एक के द्वारा फैलाया गया संक्रमण है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु (SIV-एस.आई.वी), इन्फ्लूएंजा कुल के विषाणुओं का वह कोई भी उपभेद है, जो कि सूअरों की महामारी के लिए उत्तरदायी है। 2009 तक ज्ञात एस.आई.वी उपभेदों में इन्फ्लूएंजा सी और इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच1एन1 (H1N1), एच1एन2 (H1N2), एच3एन1 (H3N1), एच3एन2 (H3N2) और एच2एन3 (H2N3) शामिल हैं। इस प्रकार का इंफ्लुएंजा मनुष्यों और पक्षियों पर भी प्रभाव डालता है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु का दुनिया भर के सुअरो मे पाया जाना आम है। इस विषाणु का सूअरों से मनुष्य मे संचरण आम नहीं है और हमेशा ही यह विषाणु मानव इन्फ्लूएंजा का कारण नहीं बनता, अक्सर रक्त में इसके विरुद्ध सिर्फ प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) का उत्पादन ही होता है। यदि इसका संचरण, मानव इन्फ्लूएंजा का कारण बनता है, तब इसे ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से सूअरों के सम्पर्क में रहते है उन्हें इस फ्लू के संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। यदि एक संक्रमित सुअर का मांस ठीक से पकाया जाये तो इसके सेवन से संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता। 20 वीं शताब्दी के मध्य मे, इन्फ्लूएंजा के उपप्रकारों की पहचान संभव हो गयी जिसके कारण, मानव मे इसके संचरण का सही निदान संभव हो पाया। तब से ऐसे केवल 50 संचरणों की पुष्टि की गई है। शूकर इन्फ्लूएंजा के यह उपभेद बिरले ही एक मानव से दूसरे मानव मे संचारित होते हैं। मानव में ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा के लक्षण आम इन्फ्लूएंजा के लक्षणों के समान ही होते हैं, जैसे ठंड लगना, बुखार, गले में ख़राश, खाँसी, मांसपेशियों में दर्द, तेज सिर दर्द, कमजोरी और सामान्य बेचैनी।

लक्षण

इस के लक्षण आम मानवीय फ़्लू से मिलते जुलते ही हैं – बुखार, सिर दर्द, सुस्ती, भूख न लगना और खांसी. कुछ लोगों को इससे उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं. गंभीर मामलों में इसके चलते शरीर के कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं, जिसके चलते इंसान की मौत भी हो सकती है.

मनुष्यों मे शूकर इंफ्लुएंजा के मुख्य लक्षण

 

 

बचाव

  • मुँह और अपनी नाक को ढक कर रखें , खासकर तब जब कोई छींक रहा हो ।
  • बार-बार हाथ धोना जरूरी है;
  • अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा।
  • अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है.

साभार : विकीपीडिया ( हिन्दी )

स्वाइन फ़्लू पर दो पावर पाइन्ट प्रेसन्टेन्शन को अवशय देखें , इसमे से एक डा. टी.वी. राव , प्रोफ़सर माइक्रोबाइलोजी , श्री देव राज मेडिकल यूनिवरसिटी , कोलार का , “ Swine flue outbreak 2009 “ है और दूसरा Homeopathy 4 everyone 2007 मे “ Homeopathy & the treatment of epidemic diseases “ नाम से प्रकाशित हुआ था ।

Swine flue outbreak 2009

डाउनलॊड लिंक : http://www.box.net/shared/uz79k46p0y

Homeopathy & the treatment of epidemic diseases

डाउनलॊड लिंक : http://www.box.net/shared/y28k0rx1o5

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6 responses to “स्वाइन फ़्लू या शूकर इन्फ़्लूएंजा

  1. स्वतंत्रा दिवस जी हार्दिक शुभकामनाएँ

  2. आजादी की सालगिरह मुबारक हो!
    आप ने होमियोपैथी द्वारा शूकर फ्लू से बचाव और हो जाने पर उपचार के बारे में अपनी राय नहीं रखी।

  3. किसी भी रोग से बचाब ही उसका सबसे बड़ा इलाज होता है, बचाव के बारे में आपने लिखा अच्‍छा लगा।

  4. sir swine flu ke liye koi preventive homeopathic medicine ka naam bataye

  5. Reblogged this on होम्योपैथी-नई सोच/नई दिशायें and commented:

    एक पुरानी पोस्ट लेकिन आजकल के हालात पर कुछ नये अपडेट सहित ।
    स्वाइन फ़्लू के बचाव के लिये डां कृषणामूर्ति द्वारा मर्क साल १००००x के प्रयोगों को http://www.interhomeopathy.org/treatment_of_swineflu पर अवशय देखें । डोज का निर्धारण मर्क साल 10000X एक डोज महीने मे एक बार * तीन महीने तक लगातार ले ।
    For prevention of swine flu , Merc Sol 10000X may be given one dose once a month for three months. This prevents swine flu for six months from the date of taking the first dose. The details are given HERE http://www.interhomeopathy.org/treatment_of_swineflu

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