
बवासीर को आधुनिक सभ्यता का विकार कहें तो कॊई अतिश्योक्ति न होगी । खाने पीने मे अनिमियता , जंक फ़ूड का बढता हुआ चलन और व्यायाम का घटता महत्व , लेकिन और भी कई कारण हैं बवासीर के रोगियों के बढने में । तो सबसे पहले जाने बवासीर और उसके मूल कारण :
आंतों के अंतिम हिस्से या मलाशय की धमनी शिराओंके फ़ैलने को बवासीर कहा जाता है ।
बवासीर तीन प्रकर की हो सकती है
- बाह्य पाइल्स: फ़ैली हुई धमनी शिराओं का मल द्वार से बाहर आना
- आन्तरिक पाइल्स : फ़ैली हुई धमनी शिराओं का मल द्वार के अन्दर रहना
- मिक्सड पाइल्स: भीतरी और बाहरी मस्से
कारण :
- बहुत दिनों तक कब्ज की शिकायत रहना
- सिरोसिस आफ़ लिवर
- ह्र्दय की कुछ बीमारियाँ
- मध, मांस, अण्डा, प्याज , लहसुन, मिर्चा, गरम मसाले से बनी सब्जियाँ, रात्रि जागरण , वंशागत रोग ।
- मल त्याग के समय या मूत्र नली की बीमारी मे पेशाब करते समय काँखना
- गर्भावस्था मे भ्रूण का दबाब पडना
- डिस्पेपसिया और किसी जुलाब की गोली क अधिक दिनॊ तक सेवन करना ।
लक्षण
- मलद्वार के आसपास खुजली होना
- मल त्याग के समय कष्ट का आभास होना
- मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन
- मलत्याग के बाद रक्त का स्त्राव होना
- मल्त्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि न महसूस करना
बवासीर से बचाव के उपाय
कब्ज के निवारण पर अधिक ध्यान दें । इसके लिये :
- अधिक मात्रा मे पानी पियें
- रेशेदार खाध पदार्थ जैसे फ़ल , सब्जियाँ और अनाज लें | आटे मे से चोकर न हटायें ।
- मलत्याग के समय जोर न लगायें
- व्यायाम करें और शारिरिक गतिशीलता को बनाये रखें ।
अगर बवासीर के मस्सों मे अधिक सूजन और दर्द हो तो :
गुनगुने पानी की सिकाई करें या ’सिट्स बाथ’ लें । एक टब मे गुनगुना पानी इतनी मात्रा मे लें कि उसमे नितंब डूब जायें । इसमे २०-३० मि. बैठें ।
होम्योपैथिक उपचार :
किसी भी औषधि की सफ़लता रोगी की जीवन पद्दति पर निर्भर करती है । पेट के अधिकाशं रोगों मे रोगॊ अपने चिकित्सक पर सिर्फ़ दवा के सहारे तो निर्भर रहना चाहता है लेकिन परहेज से दूर भागता है । अक्सर देखा गया है कि काफ़ी लम्बे समय तक मर्ज के दबे रहने के बाद मर्ज दोबारा उभर कर आ जाता है अत: बवासीर के इलाज मे धैर्य और संयम की आवशयकता अधिक पडती है ।
नीचे दी गई औषधियाँ सिर्फ़ एक संकेत मात्र हैं , दवा पर हाथ आजमाने की कोशिश न करें , दवा के उचित चुनाव के लिये एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक पर भरोसा करें ।
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१. बवासीर के मस्सों मे तकलीफ़ और अधिक प्रदाह : aconite, ignatia,acid mur, aloes, chamomilla, bell,acid mur, paeonia
२. खुजलाहट : arsenic, carbo, ignatia, sulphur
३. स्ट्रैंगुलैशन : belladona,ignatia, nux
४.रक्तस्त्राव में : aconite, millifolium,haemmalis, cyanodon
५. मस्से कडॆ : sepia
६. बवासीर के मस्सों का बाहर निकलना पर आसानी से अन्दर चले जाना : ignatia
७. भीतर न जाना : arsenic, atropine, silicea, sulphur
८. कब्ज के साथ : alumina, collinsonia, lyco, nux, sulphur
९.अतिसार के साथ : aloes,podo,capsicum
१०. बच्चों मे बवासीर : ammonium carb, borax, collinsoniia, merc
११. गर्भावस्था मे बवासीर : lyco,nux, collinsonia , lachesis, nux
१२.शराबियों मे बवासीर : lachesis, nux
१३. वृद्धों मे बवासीर : ammonium carb , anacardium
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